सही नज़रिया

परिचय
साक्षात्कार (Interview) किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का अंतिम और निर्णायक चरण होता है। इस चरण में न तो प्रारंभिक परीक्षा की तरह विकल्प-आधारित प्रश्न होते हैं और न ही मुख्य परीक्षा की तरह प्रश्नों के चयन की स्वतंत्रता। साक्षात्कार में प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है, और दिए गए उत्तरों पर प्रति-प्रश्न (Counter-question) पूछे जाने की संभावना रहती है। गलत या अपर्याप्त उत्तर का प्रभाव ‘नकारात्मक अंकन’ जैसा हो सकता है। साक्षात्कार की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसका कोई निश्चित पाठ्यक्रम नहीं होता, जिसके कारण प्रश्नों का दायरा अत्यंत व्यापक होता है।

सिविल सेवा परीक्षा में साक्षात्कार के लिए 275 अंक निर्धारित हैं। मुख्य परीक्षा के 1750 अंकों की तुलना में यह अंक कम लग सकते हैं, लेकिन अंतिम चयन और पद निर्धारण में साक्षात्कार के अंकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। मुख्य परीक्षा के परिणाम के लगभग एक माह बाद उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है।

सामान्यतः साक्षात्कार में उम्मीदवार के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। आयोग द्वारा गठित साक्षात्कार बोर्ड मौखिक प्रश्न पूछता है, जिनका उत्तर भी मौखिक रूप में देना होता है। कुछ मामलों में, विशेष रूप से राज्य लोक सेवा आयोगों में, उम्मीदवारों से लिखित कार्य भी करवाया जा सकता है। साक्षात्कार की प्रक्रिया उम्मीदवारों की संख्या के आधार पर एक या अधिक दिनों तक चलती है। अंतिम मेधा सूची (Merit List) मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के अंकों के योग के आधार पर तैयार की जाती है। साक्षात्कार समाप्त होने के लगभग एक सप्ताह बाद अंतिम चयन सूची जारी की जाती है।

साक्षात्कार की तैयारी क्यों आवश्यक है?
मुख्य परीक्षा के बाद उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने की उम्मीद रहती है। कुछ उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के तुरंत बाद साक्षात्कार की तैयारी शुरू कर देते हैं, जबकि अन्य परिणाम की प्रतीक्षा करते हैं। हालांकि यह कहना उचित नहीं कि जल्दी तैयारी शुरू करने वाले उम्मीदवारों को अवश्य अधिक अंक मिलते हैं, लेकिन व्यवस्थित तैयारी से बेहतर प्रदर्शन की संभावना बढ़ती है।

कभी-कभी कम तैयारी के बावजूद कुछ उम्मीदवार अच्छे अंक प्राप्त कर लेते हैं, जबकि लंबी तैयारी के बाद भी कुछ उम्मीदवार अपेक्षित सफलता नहीं पाते। इसका कारण यह है कि साक्षात्कार की तैयारी वास्तव में जीवन के प्रारंभिक चरणों से शुरू हो जाती है। जिन उम्मीदवारों को परिवार, स्कूल, और कॉलेज में विविध अनुभव और अवसर प्राप्त हुए होते हैं, उनका व्यक्तित्व अधिक विकसित होता है। ऐसे उम्मीदवार बिना विशेष तैयारी के भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

तथापि, यह निश्चित है कि व्यवस्थित तैयारी से उम्मीदवार अपने सामान्य स्तर से कुछ अतिरिक्त अंक अवश्य प्राप्त कर सकता है। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों को औसतन कम अंक मिलते हैं, क्योंकि उन्हें प्रारंभिक स्तर पर वह माहौल नहीं मिलता, जो साक्षात्कार बोर्ड को प्रभावित करने वाला व्यक्तित्व विकसित करता है। उनके लिए मुख्य परीक्षा के तुरंत बाद साक्षात्कार की तैयारी शुरू करना और भी आवश्यक है। अंतिम परिणाम में एक अंक का अंतर भी रैंक में बड़ा अंतर ला सकता है। अतः यदि 20-25 अंकों की वृद्धि संभव है, तो इस अवसर को नजरअंदाज करना मूर्खता होगी।

साक्षात्कार की तैयारी कैसे करें?
उम्मीदवारों को यह सवाल अक्सर परेशान करता है कि इतनी जटिल प्रक्रिया की तैयारी कैसे की जाए। क्या पढ़ा जाए, क्या छोड़ा जाए? केवल किताबें पढ़ी जाएं या अन्य स्रोतों का भी सहारा लिया जाए? आत्मविश्वास कैसे बढ़ाया जाए? ऐसा व्यक्तित्व कैसे विकसित किया जाए जो साक्षात्कार के आधे घंटे में बोर्ड को प्रभावित कर सके?

सर्वप्रथम यह समझना आवश्यक है कि साक्षात्कार बोर्ड उम्मीदवारों का मूल्यांकन किन आधारों पर करता है। यह धारणा गलत है कि सही उत्तरों की संख्या के आधार पर अंक मिलते हैं। कुछ उम्मीदवार सभी प्रश्नों के सही उत्तर देने के बावजूद 25-30% अंकों पर अटक जाते हैं, जबकि अन्य कई प्रश्नों का उत्तर न जानने के बाद भी 65-70% अंक प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न यह है कि साक्षात्कार में अंक किन मानदंडों पर निर्भर करते हैं? क्या यह चेहरा, वेशभूषा, भाषा-शैली, हाव-भाव, उत्तरों की गुणवत्ता, या जीवन और मुद्दों के प्रति दृष्टिकोण पर आधारित है? वास्तव में, ये सभी कारक संयुक्त रूप से बोर्ड पर प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक उम्मीदवार के लिए इनका अनुपात भिन्न हो सकता है।

कोई उम्मीदवार तथ्यों में कमजोर या कम आकर्षक होने के बावजूद अपने संतुलित दृष्टिकोण से प्रभाव छोड़ सकता है। वहीं, कोई अन्य उम्मीदवार आकर्षक व्यक्तित्व, प्रभावी वेशभूषा, और अभिव्यक्ति कौशल के बल पर अपनी तथ्यात्मक कमियों को छिपा सकता है।

इसके लिए उम्मीदवार को अपनी ताकत और कमजोरियों की पहचान करनी चाहिए। कमजोरियों को सुधारने का प्रयास करना चाहिए और साक्षात्कार के दौरान अपनी ताकत को अधिक से अधिक उजागर करने की रणनीति अपनानी चाहिए।

साक्षात्कार में अंक इस बात पर निर्भर करते हैं कि बोर्ड ने उम्मीदवार की उपस्थिति में कैसा अनुभव किया। क्या समय बीतने का पता ही नहीं चला? क्या उन्हें कुछ नया सीखने का अवसर मिला? क्या उम्मीदवार के उत्तर मौलिक और रोचक थे, या घिसे-पिटे और नीरस? क्या उम्मीदवार ईमानदार और विनम्र लगा, या दिखावटी और अतिशयोक्तिपूर्ण? ये सभी कारक मिलकर बोर्ड का मूड बनाते हैं, जो उम्मीदवार के अंकों को निर्धारित करता है।

यदि इन कारकों का अनुपात तय करना हो, तो चेहरा और वेशभूषा शायद 5-10% से अधिक प्रभाव नहीं डालते। खराब वेशभूषा का नुकसान अधिक हो सकता है। अभिव्यक्ति कौशल 20-25% तक प्रभाव डाल सकता है, और इसका अभाव उतना ही नुकसान पहुंचा सकता है। तथ्यात्मक जानकारी का प्रभाव 10-15% तक सीमित रहता है, लेकिन बुनियादी या पृष्ठभूमि से संबंधित प्रश्नों का उत्तर न दे पाने का नुकसान बड़ा होता है।

सबसे महत्त्वपूर्ण है उम्मीदवार का दृष्टिकोण। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किसी मुद्दे को कितने संतुलित और व्यापक दृष्टिकोण से देखता है, तात्कालिक समस्याओं का त्वरित और सही समाधान निकाल सकता है, और मुद्दों के सैद्धांतिक व व्यावहारिक पक्षों को कितनी गहराई से समझता है।

उम्मीदवारों को सुझाव है कि विवादास्पद मुद्दों पर तटस्थ होकर दोनों पक्षों का विश्लेषण करें। पक्ष और विपक्ष के तर्क लिखें, आवश्यकता हो तो इंटरनेट या मित्रों से चर्चा करें, और अंत में अपनी राय संक्षेप में व्यक्त करें। इस प्रक्रिया को 15-20 बार दोहराने से दृष्टिकोण संतुलित और परिपक्व होता है, और आत्मविश्वास बढ़ता है।

साक्षात्कार की तैयारी के आयाम
साक्षात्कार की तैयारी को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. ज्ञान पक्ष
  2. दृष्टिकोण पक्ष
  3. अभिव्यक्ति पक्ष
  4. वेशभूषा और अन्य

1. ज्ञान पक्ष
यह तैयारी का सबसे तनावपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि उम्मीदवार के बायोडाटा में इतने विविध क्षेत्र शामिल होते हैं कि सभी की पूरी तैयारी असंभव-सी लगती है। अपर्याप्त तैयारी का भय बना रहता है।

उम्मीदवार को यह स्वीकार करना चाहिए कि चाहे कितनी भी तैयारी हो, बोर्ड किसी क्षेत्र में उलझा सकता है। इसलिए, लक्ष्य यह नहीं होना चाहिए कि कोई प्रश्न छूटे ही नहीं, बल्कि यह कि अधिकांश सामान्य प्रश्नों के उत्तर दिए जा सकें। यदि कोई जटिल प्रश्न छूटता है, तो बोर्ड इसे सामान्यतः नकारात्मक नहीं मानता।

तथापि, बुनियादी या पृष्ठभूमि से संबंधित प्रश्नों का उत्तर न दे पाना गंभीर कमी मानी जाती है। तैयारी का सही तरीका यह है कि बायोडाटा के सभी क्षेत्रों (वैकल्पिक विषय, सामान्य अध्ययन, शैक्षिक पृष्ठभूमि, रुचियां, गृह राज्य, आदि) की पहचान करें। प्रत्येक क्षेत्र के लिए संभावित प्रश्नों की सूची बनाएं और उन्हें तीन श्रेणियों में बांटें:

  • **अत्यधिक संभावित Hawkins: सामान्य संभावित प्रश्न (अत्यधिक संभावित प्रश्नों की संख्या अधिक होने की संभावना)
  • सामान्य संभावित प्रश्न (संभावना मध्यम)
  • कम संभावित प्रश्न (संभावना कम)

सबसे पहले अत्यधिक संभावित प्रश्नों (100-150) की तैयारी करें, क्योंकि साक्षात्कार का 50-70% हिस्सा इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमता है। इन प्रश्नों की जानकारी को 2-3 बिंदुओं में नोट करें, पूरे उत्तर लिखने से बचें। कुछ जटिल प्रश्नों के उत्तर लिखकर आत्मविश्वास बनाए रख सकते हैं।

प्रश्नों की सूची बनाते समय दो बातों पर ध्यान दें:

  • विषय से संबंधित हाल के विकास (उदाहरण: हिंदी साहित्य में पिछले 5-10 वर्षों की प्रमुख रचनाएं)।
  • विषय का प्रशासन में योगदान (उदाहरण: दर्शनशास्त्र प्रशासन में कैसे उपयोगी हो सकता है?)।

2. दृष्टिकोण पक्ष
साक्षात्कार में सफलता के लिए दृष्टिकोण सबसे महत्त्वपूर्ण है। आयोग संतुलित और प्रगतिशील दृष्टिकोण की अपेक्षा करता है। विवादास्पद मुद्दों (जैसे समलैंगिकता, शराबबंदी, वेश्यावृत्ति की वैधता) के दोनों पक्षों का गहन विश्लेषण करें। तर्कों को लिखें, मित्रों से चर्चा करें, और संतुलित निष्कर्ष व्यक्त करें। इस अभ्यास से दृष्टिकोण परिपक्व और आत्मविश्वास बढ़ता है।

3. अभिव्यक्ति पक्ष
अभिव्यक्ति क्षमता साक्षात्कार का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें शब्दावली, उच्चारण, शारीरिक हाव-भाव, और बोलने की शैली शामिल हैं। घबराहट से बचने के लिए 8-10 मित्रों के समूह में किसी विषय पर 10-15 मिनट बोलने का अभ्यास करें।

यदि वाद-विवाद, भाषण, अध्यापन, या वकालत का अनुभव है, तो अभिव्यक्ति में सहजता स्वाभाविक होती है। तथापि, साक्षात्कार के लिए अभिव्यक्ति को औपचारिक और विनम्र बनाएं। 4 मित्रों के समूह में मॉक साक्षात्कार का अभ्यास करें। सामूहिक चर्चा से अभिव्यक्ति और विषय की समझ बढ़ती है।

4. वेशभूषा और अन्य準備
साक्षात्कार में वेशभूषा औपचारिक होनी चाहिए।

पुरुष उम्मीदवारों की वेशभूषा

  • पूरी बांह की औपचारिक कमीज़ और पैंट।
  • जींस या आधी बांह की कमीज़ से परहेज।
  • सर्दियों में ब्लेज़र/सूट, गर्मियों में हल्का सूट (उत्तर तैयार रखें: “यह समर कोट है”)।
  • कमीज़ का रंग हल्का (आसमानी, सफेद, क्रीम) और पैंट गहरा (नीला, ग्रे)।
  • टाई अनिवार्य, कमीज़ और पैंट से कंट्रास्ट रंग की। तिरछी रेखाओं वाली टाई बेहतर।
  • काले चमड़े के साधारण जूते, अच्छे से पॉलिश किए हुए। मोज़े सादे (काले, ग्रे, सफेद)।

महिला उम्मीदवारों की वेशभूषा

  • साड़ी प्राथमिकता, सूट दूसरा विकल्प। यूपीएससी में साड़ी अपेक्षित।
  • साड़ी का रंग गहरा (नीला, हरा, मैरून) या हल्का (गुलाबी, क्रीम), साधारण डिज़ाइन।
  • कमज़ोर गठन के लिए कॉटन, भारी गठन के लिए सिल्क साड़ी।
  • ठंड में ब्लेज़र (काला/नेवी ब्लू)।
  • साधारण सैंडल (काला, भूरा, क्रीम) या खुले जूते।
  • पर्स से परहेज, रुमाल आदि हाथ में लें।

सामान्य सुझाव

  • अंगूठी आदि से बचें या संबंधित प्रश्नों के लिए तैयार रहें।
  • पुरुषों के बाल छोटे और व्यवस्थित, महिलाओं के बाल औपचारिक (लंबे बाल बांधें)।
  • सफेद बालों पर हेयर कलर/मेहंदी।
  • चश्मा चेहरे को न ढके। काले घेरे छिपाने के लिए रिमलेस चश्मा।

साक्षात्कार बोर्ड की संरचना

  • यूपीएससी बोर्ड में 5 सदस्य: 1 अध्यक्ष (आयोग सदस्य) और 4 अन्य।
  • 2-3 वरिष्ठ नौकरशाह, 1 अकादमिक, और संभवतः 1 महिला सदस्य।
  • भारतीय भाषा में साक्षात्कार के लिए दुभाषिया।

साक्षात्कार कक्ष में प्रवेश

  • दरवाज़ा खुलते ही परीक्षा शुरू।
  • बोर्ड को पहली बार देखते ही अभिवादन (“नमस्कार”/”गुड मॉर्निंग”)।
  • यदि बोर्ड व्यस्त, तो अनुमति मांगें (“क्या मैं आ सकता हूँ?”)।
  • अनुमति मिलने पर अभिवादन, फिर “धन्यवाद” कहकर बैठें।
  • कुर्सी को सहज स्थिति में लाएं।

साक्षात्कार की शुरुआत

  • अध्यक्ष बायोडाटा पढ़कर परिचय देता है, बुनियादी प्रश्न पूछता है।
  • उम्मीदवार को सहज करने का प्रयास।
  • अध्यक्ष के बाद अन्य सदस्य प्रश्न पूछते हैं।
  • लंबा और रोचक साक्षात्कार अधिक अंकों से संबंधित।

साक्षात्कार के दौरान

  • केवल प्रश्न पूछने वाले सदस्य से बात करें।
  • अन्य सदस्यों को देखने से बचें, यह उनकी सहजता भंग करता है।
  • यदि अध्यक्ष टोकता है, पहले उसे उत्तर दें।
  • अन्य सदस्य के टोकने पर मूल प्रश्नकर्ता को प्राथमिकता दें।

साक्षात्कार कक्ष से निकलना

  • समापन पर सभी को एक बार धन्यवाद (“आप सभी का धन्यवाद”)।
  • कुर्सी को मूल स्थिति में रखें।
  • निकलते समय अभिवादन (“गुड डे”/”धन्यवाद”) वैकल्पिक।
  • पीठ बोर्ड की ओर न हो।

यह संशोधित संस्करण संक्षिप्त, संरचित, और मूल सामग्री के अर्थ को बनाए रखता है।

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