भारतीय पुलिस सेवा (IPS): एक संक्षिप्त परिचय
भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service – IPS), जिसे आमतौर पर ‘आईपीएस’ कहा जाता है, भारत की एक प्रतिष्ठित अखिल भारतीय सेवा है। ब्रिटिश शासनकाल में इसे ‘इंपीरियल पुलिस’ के नाम से जाना जाता था। आज भी यह सेवा न केवल सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में बल्कि समाज में कानून और व्यवस्था के संरक्षण में एक अहम भूमिका निभाती है।
चयन प्रक्रिया:
IPS अधिकारियों का चयन हर वर्ष संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से होता है। अंतिम चयन उम्मीदवारों के कुल प्राप्त अंकों और उनके द्वारा दी गई सेवा वरीयता के आधार पर किया जाता है।
इस सेवा में उत्तरदायित्वों की गंभीरता और चुनौतियों को देखते हुए, UPSC केवल उन्हीं अभ्यर्थियों का चयन करता है, जो इन परिस्थितियों के अनुकूल हों। सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रभाव के कारण लाखों युवा हर साल इस सेवा में चयन हेतु प्रयास करते हैं।
शैक्षिक योग्यता:
उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (Graduation) उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
शारीरिक योग्यता:
मानक | पुरुष | महिला |
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लंबाई | सामान्य: 165 सेमी, ST वर्ग: 160 सेमी | सामान्य: 150 सेमी, ST वर्ग: 145 सेमी |
छाती (Chest) | न्यूनतम 84 सेमी (फुलाव सहित) | न्यूनतम 79 सेमी (फुलाव सहित) |
दृष्टि (Vision) | स्वस्थ आंख: 6/6 या 6/9, कमजोर आंख: 6/9 या 6/12 | वही मानक लागू |
प्रशिक्षण प्रक्रिया:
IPS अधिकारियों का प्रशिक्षण निम्नलिखित चरणों में संपन्न होता है:
- आधारभूत प्रशिक्षण (4 माह) – लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी
- संस्थागत प्रशिक्षण – चरण I (12 माह) – सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद
- व्यावहारिक प्रशिक्षण (8 माह) – संबंधित राज्य के किसी ज़िले में
- संस्थागत प्रशिक्षण – चरण II (3 माह) – पुनः हैदराबाद अकादमी में
प्रशिक्षण के दौरान कानून, अपराध विज्ञान, भारतीय संविधान, IPC, CrPC, साक्ष्य अधिनियम आदि का गहन अध्ययन कराया जाता है। साथ ही, शारीरिक दक्षता, हथियार संचालन, ड्रिल, घुड़सवारी, तैराकी, नक्शा पढ़ना, सामरिक कौशल, दंगा नियंत्रण, आतंकवाद से निपटना, फोटोग्राफी, वाहन संचालन, VVIP सुरक्षा आदि का भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।
हथियारों का प्रशिक्षण विशेष रूप से इंदौर स्थित BSF के ‘सेंट्रल स्कूल फॉर वेपंस एंड टैक्टिक्स’ में कराया जाता है।
नियुक्ति:
प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद अधिकारियों को उनके निर्धारित राज्य कैडर में भेजा जाता है। वहां वे पहले पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कार्य-प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, फिर उन्हें सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) के रूप में नियुक्त किया जाता है। ASP के रूप में वे दो वर्षों तक कार्य करते हैं और कार्यक्षेत्र में पुलिस उपाधीक्षक के समकक्ष माने जाते हैं।
पदोन्नति और कार्यक्षेत्र:
एक IPS अधिकारी अपनी सेवा के दौरान विभिन्न पदों पर कार्य करता है, जैसे:
- सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP)
- पुलिस अधीक्षक (SP)
- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP)
- उप-महानिरीक्षक (DIG)
- पुलिस महानिरीक्षक (IG)
- अतिरिक्त महानिदेशक (ADG)
- पुलिस महानिदेशक (DGP) – राज्य पुलिस का सर्वोच्च पद
इसके अलावा, IPS अधिकारी केंद्रीय एजेंसियों जैसे CBI, IB, NIA, और अर्धसैनिक बलों जैसे CRPF, BSF आदि में भी नियुक्त होते हैं। बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में ये अधिकारी ACP, DCP, JCP और अंततः CP (पुलिस आयुक्त) जैसे पदों पर कार्य करते हैं।
सेवाकालीन प्रशिक्षण:
सेवा के दौरान, अधिकारियों को समय-समय पर मिड-कैरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के अंतर्गत अद्यतन परिस्थितियों और चुनौतियों के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है। इनमें प्रशासनिक दक्षता, मानवीय अधिकार, दंगा नियंत्रण, मीडिया प्रबंधन, जनसंपर्क, आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
मुख्य उत्तरदायित्व:
IPS अधिकारी देश की आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, VIP सुरक्षा, आर्थिक अपराधों की जांच, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, और आतंकवाद नियंत्रण जैसे गंभीर मामलों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। वे पुलिस बलों में नैतिक मूल्यों, पेशेवर मानकों और जनविश्वास को सुदृढ़ करने के लिए उत्तरदायी होते हैं।
इनकी भूमिका केवल कानून का पालन करवाना नहीं, बल्कि लोगों में सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना भी है।