भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS): एक परिचय
भारतीय प्रशासनिक सेवा, जिसे ब्रिटिश काल में इंडियन सिविल सर्विस (ICS) के नाम से जाना जाता था, आज भी अखिल भारतीय सेवाओं में सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय सेवा मानी जाती है। यही कारण है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले अधिकांश अभ्यर्थियों की पहली पसंद यही होती है।
चयन प्रक्रिया:
हर वर्ष UPSC द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से केंद्र सरकार की विभिन्न सेवाओं एवं अखिल भारतीय सेवाओं के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। अंतिम चयन, अभ्यर्थी द्वारा अर्जित अंकों और वरीयता के आधार पर होता है।
IAS की सामाजिक प्रतिष्ठा, प्रभाव और व्यापक अवसरों को देखते हुए देशभर के लाखों युवा इस परीक्षा में सम्मिलित होते हैं, लेकिन केवल कुछ सौ ही चयनित हो पाते हैं। हर वर्ष लगभग 100 उम्मीदवारों को ही IAS के लिए चुना जाता है, जिससे इसकी प्रतिस्पर्धा और कठिनाई का स्तर स्पष्ट होता है।
शैक्षिक योग्यता:
सिविल सेवा परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (Graduation) की डिग्री अनिवार्य है।
प्रशिक्षण प्रक्रिया:
IAS अधिकारियों का प्रशिक्षण समयानुसार परिवर्तित होता रहा है। वर्तमान में यह प्रशिक्षण निम्नलिखित चरणों में संपन्न होता है:
- आधारभूत प्रशिक्षण (16 सप्ताह) – लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण – चरण-I (26 सप्ताह) – मसूरी में।
- राज्य स्तरीय प्रशिक्षण (52 सप्ताह):
- संस्थागत प्रशिक्षण (3 सप्ताह)
- ज़मीनी प्रशिक्षण या ज़िला प्रशिक्षण (45 सप्ताह)
- संस्थागत प्रशिक्षण – चरण-II (4 सप्ताह)
- व्यावसायिक प्रशिक्षण – चरण-II (9 सप्ताह) – मसूरी में।
आधारभूत प्रशिक्षण में सभी केंद्रीय सेवाओं के प्रशिक्षु एक साथ प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, जिससे सहयोग और समन्वय की भावना विकसित होती है। इसमें संविधान, प्रशासन, भारतीय समाज, विधि, जनसंख्या अध्ययन आदि की शिक्षा दी जाती है।
व्यावसायिक प्रशिक्षण (चरण-I) में उन्हें प्रशासनिक कौशल, संसदीय प्रक्रिया, और राष्ट्रीय नेताओं से संवाद का अवसर मिलता है।
राज्य स्तरीय प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षु अधिकारी ज़मीनी स्तर पर प्रशासनिक कार्यों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करते हैं। इसमें वित्त, राजस्व, नियोजन, भू-सुधार आदि के व्यावहारिक पहलुओं पर कार्य किया जाता है।
अंत में व्यावसायिक प्रशिक्षण – चरण-II में सभी प्रशिक्षणार्थी अपने क्षेत्रीय अनुभव साझा करते हैं और लिखित परीक्षा के माध्यम से मूल्यांकन किया जाता है।
नियुक्ति:
प्रशिक्षण के बाद अधिकारी को उसके निर्धारित कैडर में नियुक्त किया जाता है। प्रारंभिक वर्षों में उन्हें SDO, SDM, या CDO जैसे पदों पर नियुक्त किया जाता है। अनुभव बढ़ने पर ये अधिकारी जिलाधिकारी (DM), कलेक्टर, डिविजनल कमिश्नर आदि के पदों पर कार्य करते हैं।
इसके अलावा, वे केंद्रीय सचिवालय, स्वायत्त संस्थानों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे वर्ल्ड बैंक, एडीबी) और मंत्रियों के निजी सचिव के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
पदोन्नति:
IAS अधिकारियों की पदोन्नति वरिष्ठता और कार्यकुशलता के आधार पर होती है। यह अधिकारी क्रमशः निम्नलिखित पदों पर कार्य करते हैं:
- अवर सचिव
- उप-सचिव
- निदेशक
- संयुक्त सचिव
- अतिरिक्त सचिव
- सचिव / प्रधान सचिव
- कैबिनेट सचिव
कैबिनेट सचिव का पद IAS अधिकारियों के लिए सर्वोच्च होता है।
सेवाकालीन प्रशिक्षण:
सेवा के दौरान भी समय-समय पर प्रशिक्षकों को मिड-कैरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत 6 से 20 वर्षों की सेवावधि पर प्रशिक्षण दिया जाता है। राज्य सेवा से IAS में पदोन्नत अधिकारियों के लिए भी 5 सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण आयोजित होता है।
कार्य एवं ज़िम्मेदारियाँ:
IAS अधिकारी भारत सरकार का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिनिधित्व करते हैं। ज़िला स्तर पर वे जिलाधिकारी/कलेक्टर के रूप में कार्य करते हैं और ज़िले की प्रशासनिक, विकासात्मक एवं कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर होती है।
ये अधिकारी नीति निर्माण एवं उसके क्रियान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हें विभिन्न विभागों में कार्य करना पड़ता है, जिससे उन्हें बहुआयामी अनुभव प्राप्त होता है।